Tuesday 20 October 2015

किसान:-धरती के भगवान

लइकाईये से हमनी के इहे कहत आ सुनत रहल बानी सन,उमिरिया बीत गईल किताबन में पढ़त-पढ़त केतनन के कि,हमनी के देश भारत कृषि प्रधान देश हवे। हमनी के देश किसानन के देश हवे। किसान देश के प्राण आ शान बा लो! आउर ना जाने केतना तरीका के बात करेनी सन, आ सुनेनी सन। बाकि आज किसानन के जउन स्तिथि बा ऊ केहू से छिपल नईखे। गरीब,लाचार अउरी बेबस,सब ओरी से जूझत! ईहे ऐ घरी किसान के परिभाषा बावे।

आज देश के अखबार,टीवी जन्मदिन,पुण्यतिथि,घोटाला,
भ्रष्टाचार,करोडन के शादी,अरबो के टैक्स,क्रिकेट,सीरियल आ फ़िल्म सब से भरल बा। हर दिन अइसही खबर पढ़ के निकल जाता। एह देश में पीड़ित के केहू सुने वाला नइखे! भले ऊ गरीब,लाचार अउरी बेबस काहे ना होखे। ह ई जरूर बाटे की गरीबन आ पीड़ितन के हक खाये वालन के कउनो कमी नइखे इहा। हमनी के हर स्तिथि के जानकारी बा,बाकि शायद हमनी के ढ़ेर कुछ देखे के नईखी चाहत भा फिर सब जान के भी अंजान बनतानि सन।

देश के लोग खातिर आपन खून पसीना जराके अन्न उपजावे वाला किसान, आज खुदे अन्न के दाना खातिर भटक रहल बा। एक-आध सौ अमीर किसान के छोड़ दियाव त कुल्हि किसानन के हालत देखे लायक नईखे। किसान हर तरह से दुःखी बा।

ए घरी किसान कर्जा में जन्मत बा लोग आ कर्जे में मर जा ता लोग! अजुए कही सुखा पड़ला से त कही ज्यादा बरखा भइला से किसानन के जान जाता। हमनी के जउन जीवन जियतबानी सन,जउन लाइमलाइट में रहतानि सन! ओह तरह के जीवन जिये के किसान त कल्पना भी नईखे कर सकत।

हमनी के सरकार,किसानन खातिर केतना करतिया?सरकारी योजना के केतना फायदा किसान सभे का मिलेला। ई बात हमनी से छुपल नईखे।किसान आज ऐके- दूदू गो पइसा खातिर दुआरी-दुआरी भटक रहल बा लोग। गरीब किसानन के सामनहीं नेता लोग के करोडन के माला भेट में दियाता,आ ओहिजा किसान लोग फसरी लगावता। कही कौनो नेता खाली नाम खातिर अरबो रुपया शादी में उड़ावता लोग त केहू भ्रस्टाचार-भ्रस्टाचार चिल्लाता। ले दे के सभे एक दूसरा के टंगरी खींचे में लागल बा लोग।

महंगाई से आम जन के जियल मुश्किल भईल बा। एक ओरी देश के कई गो मंत्री लो महंगाई भत्ता,आ आपन फायदा खातिर केतना विधेयक पास करवा लेता लोग! ओहिजा किसान सभे आपन फायदा का कहीं मुलो नईखे निकाल पावत। एतना ख़राब स्थिति के बावजूदो,सरकार कहेले की ए घरी किसान सभे खुश बा।

जब हमनी के निक काम कईला पर ईनाम भा पुरस्कार मिलेला,त ओह किसानन के काहे ना जउन सभे के जियावत बा??हमनी के ओह लोग ला का करेनी सन??साँच त इहे बा की जब सरकार आ ओकर संगठन किसानन ला कुछो नईखे कर पावत,त हमनी के का कर सकेनी सन।

हमनी के "शास्त्री जी" के हई नारा "जय जवान,जय किसान" बदल देवे के चाही!काहे की ऐ घरी जवानन के जय त होता... बाकि किसानन के पराजय हो रहल बा। एह देश में आजो सब कुछ चलत बा...बाकि धरती के किसान भगवान ना...

खुदे खाली पेट रहके,हमनी के खियावे वाला किसान, किसान ना हमनी के भगवान ह लोग। ओहू लोग के एगो नीमन जिंदगी जिये के हक बा। देश के सभे किसानन के हमार प्रणाम।

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