Sunday 6 December 2015

छठ पूजा 2015

आज जब सब तरफ लोग पुराने रीती-रिवाजो को भुल कर एक नई संस्कृति की गाथा रचने में लगे पड़े है,ऐसे में जब भी यह विचार आता है की वह कौन सा व्रत/पर्व या आयोजन है जो आने वाले कई दशकों तक अपनी संस्कृति और महता बनाये रखने में कामयाब होगा? तो स्वतः ही ध्यान लोक समन्वय तथा आस्था के महापर्व छठ की तरफ आ टिकता है। सालों से देखता आ रहा हूँ,कई पर्वो के आयोजन के तरीके बदल गए,लोग टुकड़ो में बट कर आयोजन करने लगे। लेकिन जब बात छठ पर्व पर आकर टिकती है तो नजारा खुद-ब-खुद बदल जाता है। कोई किसी को ईख पहुँचा रहा होता है।
तो कोई किसी के लिए बाजार से पुजन सामग्री ला देता है। चौतरफा मदद के हाथ खड़े दिखाई देते है। सारे भेदभाव और मतभेद भुलाकर लोग
छठ पर्व की गूँज को प्रत्येक वर्ष और भी दुर तक पहुचाने की हरसंभव प्रयास करते है। लाखों की संख्या में परिजन घर को पहुँचते है,तो सिर्फ छठ के आयोजन के लिए। छठ एकमात्र ऐसा त्यौहार है,जहाँ जानी दुश्मनी तक को परे रखकर आपसी सद्भाव का परिचय प्रस्तुत किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा। अत: लोक समरसता के ईस पर्व की असीम शुभकामनाये । ईस आशा और विश्वास के साथ की अगले वर्ष छठ पर्व की धमक और आभा और फैलेगी,एक बार फिर शुभकामनाये एवम् बधाईया।
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

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