Sunday 6 December 2015

कीमत(कहानी)

कीमत (कहानी)
स्विट्जेरलैंड ऑइल प्रकाश के दू बरिस हो गईल रहे। ऊ उहवाँ एगो बरहन कंपनी में काम करत रहस। एक दिन उनकर मोबाइल बाजल त देखले की माई हिअ,फोन त उठा लिहले बाकि उनका लागल की भोजपुरी में बतिआएम त कंपनी के लोग का कही। ऊ फोन उठा के कहले रास्कल आई हैव टोल्ड यू नॉट टू कॉल यू इन ऑफिस टाइम,आ फोन झटाक से काट दिहले,आ खूबे मुस्कइले। अब जवन माई के हिंदी तक ठीक से ना बोले आवे , उ बेचारी इंग्लिश का समझित। सांझी के फ़ोन क के माई के लगले झारे की तोहनी के ना बुझाला की इहवाँ केतना काम बा,कबो फ़ोन क देहेलु। ए से पहिले कि माई कुछ कहित फेर फोन काट दिहले। कुछ दिन बाद फेरु ऑफिस में रहले त फोन बाजल,माई त समझइलो प ना समझले आ फोन रिसीवे ना कईले। अब जब फोन आवे त काट देस। एक दिन सांझी के माई के फेर फोन आईल त फोन उठावतहि माई बोलली की बेटा तहार बाबूजी...का भईल बाबूजी के...पूरा बात सुन के ऑफिस में खबर कईले आ टिकट कटा के प्लेन में बैठ गईले। घरे पहुचलें त बाबूजी मर चुकल रहले। गॉव जवार के लोग उनका से लागल कहे की प्रकाश टाइम प आइल रहित त सिन्हा जी बाँच गईल रहते। बेचारा का करित बुड़ाडी में पैसा बिना मर गइल ह। अब प्रकाश के बुझा गईल रहे की ऊ माई के फोन काट के कतना बरका गलती कर देले रहले। उनका अपना बाबूजी के एकेगो बात दिमाग पर नाचत रहे की "बेटा कबो अपना भाषा के नीच मत समझिह,आ ओकरा से कउनो समझोता मत करिह"।
प्रकाश ओहि दिन से प्रण कईले की अब ऊ भोजपुरी खातिर जिहिये आ मरिहे। भोजपुरी अब फेन से उनकर आपन हो गईल बाकि बाबजी के जिंदगी के कीमत चूका के।
नोट: जब रऊओ सभे का साथे कुछ अइसही होई तब जागेंम लोनि का?? जागी आ भोजपुरी के सम्मान करी। भोजपुरी के कुछ दिही,लिही मत। आ बोली,हिचकिचाई मत। जय भोजपुरी।

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