Sunday 6 December 2015

जाड़ा

जाड़ा अब लागे लागल,
चदरियां खिचाये लागल,
जाकिटवा कसाये लागल,
जुतवा पहिनाये लागल,
माने जाड़वा लागे लागल।
रउआ सभे किहा भी जाड़ा आवे लागल का,इहवाँ त अब भोरहा-संझिहा बुझाय लागल बा। आपन-आपन कपड़ा-लाता टीक कर ली लोनी...जाड़ा में पहिने के।

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