Sunday 6 December 2015

माटी

राख सकी माटी के लाज,
दिही आशीष, इहे आज,
भोजपुरी के होखे सम्मान,
इहे बावे हमार अरमान।

माटी पुकारत बाटे आज,
मिल के पूर्ण करे के काज,
इहे बावे हमार आह्वान,
बनल रहो भोजपुरी के ताज।
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

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