Sunday 10 January 2016

अहमियत है ही क्या??

मिटा ना सका जो बढ़ती दूरियाँ,
उस रिश्ते की परवाह ही क्या?
जोड़ ना सका जो टूटे दिलो को,
भावनाओ का वो सैलाब ही क्या?

निभा ना सका जो कसमे-वादे,
उस रिश्ते की परवाह ही क्या?
बना ना सका जो अपना मुझे,
मेरे लिए उसकी अहमियत है ही क्या??
अनुराग रंजन
छपरा(मशरख)

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